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लघुकथाएं--पुराना चर्च


**जॉनरः हॉरर**

कहानी ः पुराना चर्च

कई बार उस नदी में उफान आए,तटें टूटीं और जनसमुदाय बिखरा।सबकी चीखें, आँसू,गम और बददुआ शायद उस नदी को लग गई थी कि आज वह नदी और उसका वह तट वीरान और गुमनाम पड़ा था।

परिवर्तन तो सृष्टि का नियम है, इसे कौन बदल सकता लेकिन कभी लोगों से गुलजार रहने वाला वह तट आज अपनी बेगुनाही के लिए तरस सा रहा था।

गाँव के लोगों ने तो उस हिस्से में जाने से भी रोक लगा दिया था।हर साल बाढ़ आसपास के बचे खुचे सत्य को भी खंडहरों में बदल देती थी।
कारण शायद प्रकृति का क्रोध भी हो सकता था।
उसी का एक प्रमाण वह वीरान सा खंडहर था जिसके कुछ अवशेष खड़े थे बाकी सब मलबों में बदल चुके थे।लोग कहते थे कि वह एक पुराना चर्च था।

शायद वह उस नदी के दर्द का साक्षात गवाह रहा हो या हर वर्ष हजारों मौतों का प्रत्यक्ष दर्शी..वहां कोई भी नहीं जाता था।
बल्कि गाँव के लोगों ने उसके लिए प्रतिबंध ही लगा दिया था।

पर ऐसा कब हुआ है कि कोई नियम बना हो और उसका उल्लंघन करने वाला पैदा नहीं हुआ हो?

असीम और करीम दोनों उसी गांव के जन्मे बच्चे थे लेकिन शहर की पढ़ाई ने दोनों को भ्रमित कर दिया था।
भूतप्रेत ,जादू टोना ये सारी बातें उनके सिर से ऊपर जातीं थीं।
गाँव वालों के लगातार मना करने के बावजूद दोनों चुपके से रात में अपने आधुनिक कैमरे और मोबाइल लेकर उस पुराने खंडहर की तरफ चल पड़े।

एक तो सुनसान वीरान जगह उसपर रात का अंधेरा.. दोनों की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई लेकिन अब अंदर जाने के अलावा कोई और विकल्प था ही नहीं।
अपनी मर्दान्गी दिखाते हुए 
हिम्मत कर दोनों उस वीरान खंडहर में घुसे।

असीम मोबाइल ऑन कर वहां का वीडियो बनाने लगा और करीम भी अपने इलेक्ट्रॉनिक कैमरे को ऑन कर फोटोज क्लिक करने लगा।

,,हाय गाइज..!,मैं हूँ असीम और यह है मेरा जिगरी दोस्त करीम।हम दोनों इस खंडहर के भूत से मिलने आए हैं.. सदियों से यह दुष्प्रचार किया जा रहा था कि यहां कुछ.. है...!,फिर थोडा रुककर वह बोला
हैलो.. कोई है क्या.. वहां पर.. जरा यहां आइए हमारे कैमरे में...!,,

पल भर के लिए वहां सन्नाटा छा गया।ऐसा लगा कि वहां कुछ और है।

असीम ने करीम से कहा
,,भाई इतना सन्नाटा ठीक नहीं लग रहा.. चल वापस भाग लेते हैं।,,

,,अरे कुछ भी नहीं है यहां भाई ऐसा जिससे कि डरा जाए..!,,करीम ने कह तो दिया पर अंदर से वह भी बहुत ही अधिक डर गया था।

अचानक ही खंडहर के ऊपर का एक बहुत बड़ा हिस्सा अचानक टूट कर जमीन पर आ गिरा।
यह देखकर दोनों की ही चीख निकल गई।
जबतक वह दोनों संभलते एक अत्यंत विशाल एनाकोंडा साँप  फुफकारता हुआ सामने आ गया।

,,अरे बाप साँप..भागो..भागो...लेकिन उसका अंत कहाँ था?

वह उस खंडहर में यहां से वहां तक अपने शरीर फैला कर रखा था।
जिधर से भी दोनों भागने की कोशिश करते साँप उधर मुड़ जाता।
फिर अंत में उस साँप ने एक एक कर दोनों के गर्दन को अपने शरीर से लपेटकर मार डाला और निगल लिया।

जमीन पर पड़ी थी एक चलती मोबाइल, जिसमें विडीयों बन रही थी और कैमरा भी जिसमें औटोमैटिक फोटोज शूट हुआ पड़ा था।

दूसरे दिन गाँव के लोग उन दोनों को ढूढते आए तो यही दो चीजें उन्हें मिलीं।

पर न तो उसमें कोई भी फोटो खीची थी और न ही  विडीयों शूट हुआ था।
उसमें सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा था और कुछ भी नहीं...!!
गांव के लोगों ने कहा इस नदी के भूत  ने दो और लोगों को निगल लिया।

और वह विशालकाय एनाकॉन्डा उसी खंडहर में  न जाने कहाँ गुम हो गया...!

***
स्वरचित और मौलिक
सीमा...✍️🌹
©®
#लेखनी
#शॉर्ट स्टोरी प्रतियोगिता


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11 Comments

Reyaan

09-May-2022 05:35 PM

Very nice

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Fareha Sameen

09-May-2022 02:40 PM

Nice

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Sachin dev

09-May-2022 10:18 AM

Very nice

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